IAS बनने का ख्वाब कैसे पूरा होगा? जब तुम्हारा हर जरूरी काम अधूरा होगा।

इस परीक्षा के बारे में शुरू में ही जान लें कि ""ये राह नही आसां बस इतना समझ लीजिये। 
"इक आग का दरिया है और डूब कर जाना है। ""
यदि कलेक्टर बनने का ख्वाब देख रहे हो तो एक बार फिर सोंच लो। कहीं ऐसा न हो कि आधे रास्ते पहुंच कर पछताना पडे कि यार कहां आकर फंस गए?

मेहनत करके रात दिन एक कर दिया। सारे सब्जेक्ट रट लिया हैं। सैकड़ों बार तो इन किताबों और पत्रिकाओं को पढ चुके हैं। अच्छी कोचिंग भी कर लिया है खूब अभ्यास भी करते हैं। अब और क्या करें सफलता पाने के लिए। आपके मन में बार बार इस तरह के निराशाजनक विचार पैदा होंगें। बार बार मन में विचार उठेंगे कि बड़े बड़े धुरंधरों का सेलेक्शन जब नही हो रहा है तो फिर हम किस खेत की मूली हैं।

आपको इस तरह के निराशाजनक विचारों से लगातार खुद को मुक्त करते रहना होगा। खुद को साबित करने के लिए हर क्षण आत्मविश्वास धैर्य, दृढ़ता और समर्पण की डोर कस कर पकड़े रहना होगा। 
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"" एकला चलो रे "" तथा "" चरैवेति - चरैवेति ""का सूत्र ध्यान रखना होगा। अपने कान में खुद के द्वारा मंत्र फूकते रहना होगा कि मै कर लूँगा। हां मैं कर लूँगा।

""Yes, If I Can Dream It I Can do It. "" हां मैं करके दम लूंगा।

यह मेरा संकल्प हैं। कलेक्टर मुझे बनना है किसी और को नही। नही, मै खुद को एक मजाक बनने नही दूंगा। हां मैं अपने लिए एक स्थान बना कर दम लूंगा। मै इसके लिए तन मन धन सब एक कर दूंगा।

मै खुद को भीड़ में नही खोने दूंगा। यही मेरा इश्क है। यही मेरा जुनून है। मै ख्वाब को हकीकत में बदल कर ही रूकूंगा। यह मै और मेरा खुदा जानता है कि मैने ईमानदारी से मेहनत की है। मैने अपनी दिशा नही छोडी। यदि किया गया परिश्रम व्यर्थ नही जाता तो मुझे मेरी मंजिल जरूर मिलेगी। भगवान के घर देर हो सकती है लेकिन अंधेर नही है। इसी तरह खुद को बुलंद, बेबाक, और बहादुर बनाना होगा। इस बात को सदैव ध्यान रखना -

""खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले। खुदा बंदे से खुद पूंछे बता तेरी रजा क्या है। "" 
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जब सच्चे मन से पढ़ाई करोगे तो वह एक तपस्या बन जाती है। उसमें खुदाई अंदाज पैदा हो जाता है। ईश्वर खुद तुम्हारी मदद के लिए हाजिर हो जाता है। लेकिन बहुत कम अभ्यर्थी खुद को इस लेवल तक पहुंचा पाते हैं। कहना आसान है करना मुश्किल। आप खुद सोंचो अब तक आपने जो भी सोंचा उसमें से कितना कर पाए? इसी से आगे का अंदाजा लगा लो। 
काका कलाम कहते हैं कि - - ""सपने वो नही होते जो आप सोने के समय देखते हैं। सपने वो होते हैं जो आपको सोने नहीँ देते। जिन्दगी को बदलने की कोशिश मत करो। आदतें बदल लो जिन्दगी खुद ही बदल जाएंगी। ""

तुम्हारी बुरी आदतें तुम्हारी सबसे बड़ी दुश्मन है। आदतें धीरे-धीरे बनती है और धीरे-धीरे ही सुधरती है। तुरंत नही। तो क्या तुम अपनी आदतें बदल पाओगे। सोंच लो यह आसान काम नहीं है। लेकिन यदि बदल पाए तो कलेक्टर बनने से कोई रोक नही सकता। कलेक्टरी की तैयारी कोई बुरा काम नही है। वे हौसले वाले लोग होते हैं जो यह काम करते हैं लेकिन आजकल यह फैशन भी हो गया है। कोई पूछता है कि - बेटा क्या कर रहे हो? बताने में अच्छा लगता है कि आईएएस की तैयारी कर रहे हैं। समाज में अपना प्रभाव जमाने के लिए भी गार्जियन जबर्दस्ती महंगी कोचिंग करने और चार - पांच साल पढने का जुगाड़ कर देते हैं। आखिर बेटे की तैयारी से समाज में उनका जलवा आज तो हो ही जाता है। कल क्या होगा देखा जाएगा। 
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दोस्तों यदि ऐसे बाहरी प्रभावों के झांसे में आकर कलेक्टरी की तैयारी करना शुरू करोगे तो मुंह की खानी तय है। न घर के रहोगे न घाट के। फिर तुम पर तंज कसे जाएंगे। आलोचना की जाएगी। मजाक बनाया जाएगा। तैयारी के दौरान भी नकारात्मक और उदासीन दुनिया के खुदा जीना हराम कर देते हैं। बेमतलब ही बोलते हैं कि - बहुत हवा में उड रहे हैं देखते हैं कलेक्टर बन पाते हैं कि नही।

तुम्हारे सामने प्रशंसा करेंगे कि भाई बहुत बड़ा काम कर रहे हो। करो हमारी दुआएं तुम्हारे साथ हैं लेकिन पीठ पीछे चुगली करेंगे कि बेटा अब आया है ऊंट पहाड़ के नीचे। सारी अवकात समझ में आ जाएगी। तुम पी टी परीक्षा पास कर लोगे और तुम्हारा दोस्त फेल हो जाएगा तो तुम्हारी बुराई शुरू कर देगा। अपनी कमियों का मूल्यांकन नही करेगा। सुधार नही करेगा।

अधिकांश अभ्यर्थी ऐसे ही होते हैं। हर शहर में आप यह देख सकते हैं। तो यदि कलेक्टर बनने का सच में जुनून है तो हम कुछ बातें बता रहे हैं उन्हें फालो करो। सिर्फ पोस्ट पढने से कुछ नही होगा। उपदेश देना आसान है और करना मुश्किल। तो आपको करना है सिर्फ़ सोंचना नही है - - 
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(1.) सबसे पहला काम हकीकत जान लो तब तैयारी शुरू करो । हकीकत जानने के लिए एकेडमी के पोस्ट पढते रहो 100 पोस्ट का टारगेट पूरा होने तक इस मामले में कुशल हो जाओगे । सब बात समझ में आ जाएगी ।

( 2.) अपनी खुद की रूचि हो तभी तैयारी शुरू करो । क्योंकि कठिन पढ़ाई आपको करना है किसी और को नहीं। देखा - देखी नहीँ । नकल करके नही अक्ल लगा कर।

( 3.) किसी कोचिंग, रिश्तेदारों या स्कूल टीचर के सतही सुझावों में मत फंस जाना। हम इसलिए आगाह कर रहे हैं कि कल आप असफलता के अवसाद में डूब न जाएँ क्योंकि प्रायः 100 में से 98 फेल ही होते हैं।

( 4.) कमजोर विषयों की तैयारी हेतु हर प्रयास करने के लिए सदैव तैयार रहना होगा । चाहे कितनी भी मेहनत करनी पड़े ।

( 5.) तैयारी का शार्टकट नही अपनाएँगें बल्कि पूरी प्लानिंग के साथ तीनों चरणों की तैयारी करेंगे । अपने अनुभव और समझ के आधार पर ।

(6.) अब से आगे जो भी निर्णय लेंगे तर्क, तथ्य और विश्लेषण के आधार पर लेंगे । चाहे निर्णय छोटा हो या बड़ा । क्योंकि सही समय पर सही निर्णय करना कलेक्टर का सबसे प्रमुख गुण होता है ।

(7.) कलेक्टर बनने के लिए जो भी आदतें जरूरी है उन्हें अपनाएंगे । और लगातार सीखने के लिए तैयार रहेगें ।

(8.) ज्ञान का घमंड नहीं करेंगे । और थोथे प्रदर्शन से बचेंगे । हर जगह पर सही तरीके से खुद को प्रस्तुत करेंगे ।

(9.) व्यवहार में शालीनता और लचीलापन रखेंगे । थोड़ी सी गंभीरता भी रखेंगे । विवेकानंद ने कहा था कि ""Courtesy cost nothing but buys everything. ""

(10.) किसी से बेवजह तुलना नही करेंगे । पहले दिन से ही तैयारी सही दिशा में करेंगे । जो भी पढेंगे टाइम टेबल और सिलेबस के अनुसार पढेंगे । बेकार की किताबों से दूर रहेंगे ।

(11.) यदि गलती किया है तो रोने के बजाए । गलतियों की लिस्ट बनाएंगे और उन्हें दूर करने तथा दुहराने से बचेंगे । कहा भी गया है कि - - "" जब तक तुम गलतियों को दुहराओगे । असफलता भी खुद को दोहरायेगी । ""

( 12.) और अंत में बता दूं कि - हार नही मानोगे कभी भी नही । जब तक कि कलेक्टर बन न जाओ । चाहे कितना भी दुख क्यों न हो । सब कुछ सह लो लेकिन रूकना नही है । क्योंकि तुम्हारे पास खोने के लिए कुछ नहीं है और पाने के लिए सारा आकाश है ।

""दुख शोक जो कुछ आ पडे धैर्य पूर्वक सब सहो । होगी सफलता क्यों नहीं । कर्तब्य पथ पर दृढ़ रहो। ""

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